वैसे तो जेंट्स भी बहुत पहले से अंगूठी, चेन और ब्रैसलेट जैसी ज्वेलरी पहनते रहे हैं। लेकिन बात अगर फैशन की करें, तो आनेवाले समय में इस मामले में महिलाओं का एकाधिकार टूट भी सकता है। बदलते जमाने में जेंट्स के फैशन फंडे भी बढ़ते जा रहे हैं। ज्वेलरी के मामले में जेंट्स की लगातार बढ़ती चॉइस को बाजार भी समझ रहा है। इसी वजह से जेंट्स ज्वेलरी का बाजार भी बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। क्योंकि जेंट्स ज्वेलरी कफलिंक और घड़ी से भी बहुत ज्यादा आगे बढ़ चुकी है। इसका श्रेय जाता है नए जमाने के ज्वेलरी डिजाइनर्स को, जिन्होंने बदले हुए हालात में जेंट्स में ज्वेलरी की जरूरत को जगाया और नए जमाने के हिसाब से ज्वेलरी के डिजाइंस पेश किए। अब तक यही माना जाता था कि जेंट्स पर जेवर ज्यादातर जंचते नहीं हैं। लेकिन पुराने जमाने की बात करें तो हमारे राजा महाराजा लोग तो भारी भरकम मुकुट, कड़े, बाजूबंद, हीरे – मोतियों के हार आदि पहनते ही थे। मतलब यही है कि ज्वेलरी का जितना शौक लेडीज को रहा है, उतना ही सदा से जेंट्स में भी रहा है। यह अलग बात है कि लेड़ीज में ज्वेलरी शुरू से ही श्रंगार का साधन रही है और जेंट्स के लिए जरूरत का हिस्सा। जेंट्स के पास ज्वेलरी होगी, भी तो वह उनको कब पहनेगा, यह तय नहीं है। मगर, लेड़ीज में ज्वेलरी उनके फैशन और लाइफ स्टाइल का हिस्सा तो है ही, उनका पहला शौक भी यही है। हाल के कुछेक सालों में यह देखा गया है कि ज्वेलरी खरीद के मामले में जेंट्स का आंकड़ा काफी बढता ही गया है। भले ही वह पहने या ना पहने, मगर जेंट्स उसको खरीदता जरूर है। इसीलिए यह कहा जा सकता है कि जेंट्स में भी फैशन के मामले में ज्वेलरी ने अपनी जगह बना ली है।
अस्सी से 90 तक के दशक में जेंट्स का फैशन उफान पर आया तो सही, लेकिन वो सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित रहा। एक मॉडर्न जेंट्स के ज्वेलरी बॉक्स में घड़ी, शादी की निशानी बताने वाली एक गोल्डन रिंग, पूरी बांह वाली कमीज में लगने वाली कफलिंक और बहुत कर लिया तो टाई में लगने वाली पिन या फिर क्लिप। सालों से जेंट्स की मानसिकता में ज्वेलरी का मतलब घड़ी और कफलिंक ही रहा है। सूट बूट में रहने वाला नौकरीपेशा जेंट्स ने ना तो कभी ज्वेलरी पहनी और ना ही उसके कॉर्पोरेट कल्चर ने कभी इसकी इजाजत दी। जेंट्स में ज्वेलरी का शौक उनके स्टेटस सिंबल को भी दर्शाता है। हालांकि यह कुछ हद तक तो लोगों के सामाजिक कल्चर पर भी निर्भर करता है। लेकिन मिसाल के तौक पर छाती के बाल वैक्स कराने का शौकीन और रोज जिम जाकर कसरत करनेवाला कॉस्मोपॉलिटन जेंट्स कई बार महिलाओं को ज्वेलरी भी पहन लेता है। हालांकि इनमें डायमंड या फिर कोई चमकदाक चीज ही आकर्षण का क्रेंद्र होती है। इन दिनों जेंट्स में शंबाला ब्रैसलेट काफी डिमांड में हैं। क्रिस्टल बीड जड़े चमड़े के ये ब्रेसलेट एक खास लुक देते हैं। आम मानसिकता तो यही है कि अगर आप गोल्ड या डायमंड पहनते हैं आपकी हैसियत का अंदाजा हर कोई लगा सकता है। शायद इसलिए समाज में अपना कद बढ़ाने के लिए या अपनी अमीरी दिखाने के लिए जेंट्स ऐसे ब्रैसलेट पहनने लगे हैं।
एक बार फिर यहां मानसिकता का खेल देखिये। कोई भी जेंट्स आमतौर पर खुद के लिए ज्वेलरी खरीदने में हिचकते देखा गया है। क्योंकि सब सोचते यही हैं कि, ऐसी खरीददारी लेड़ीज को ही ज्यादा जंचती भी है। जेंट्स में खरीद की इसी हिचक को समझने के बाद पिछले कुछेक सालों में लेड़ीज ने अपने जेंट्स को ज्वेलरी से सजाने का बीड़ा खुद उठाना शुरु कर दिया है। अपने दोस्त, प्रेमी या फिर पति के लिए ज्वेलरी खरीदने में लेड़ीज बढ़चढ कर आगे आने लगी हैं। मजे की बात तो यह है कि अगर जेंट्स के लिए कोई लेड़ीज ज्वेलरी खरीदने जाती हैं तो वे कुछ ऐसा ही लेंगी जिनमें उनकी पसंद भी शामिल हो। यानि ज्वेलरी पूरी तरह जेंट्स तो नहीं हो सकती। क्योंकि यह शॉपिंग लेडीज मानसिकता से की गई है। समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। और फिर इसमें हर्ज ही क्या है अगर कोई लेड़ी अपनी पसंद की ज्वेलरी अपनी पसंद के जेंट्स के साथ मिलकर पहने। ये तो फायदे वाली बात है न, एक ज्वेलरी दोनों के लिए। वक्त बदल रहा है। इसलिए जेंट्स ज्वेलरी के डिजाइनर्स भी नए – नए प्रयोग कर रहे हैं। इसकी शुरुआत हुई ब्रैसलेट से। फैशन के मामले में जेंट्स ज्वेलरी की बड़ी होती जगह को देखकर जेंट्स के लिए ज्वेलरी की रेंज उतारने के बारे में कई प्रतिष्ठित ब्रांड भी नई योजना बना रहे हैं। ज्वेलरी इंडस्ट्री भी इस बदलते मिजाज से वाकिफ होने लगी है। आने वाले दिनों में देश भर के बड़े बड़े स्टोर्स में जेंट्स ज्वेलरी की कई सारी स्पेशल रेंज दिखे तो चौंकियेगा मत। जेंट्स के लिए यह एक नई खुशखबरी है कि बाजार अब उनके लिए भी सजने लगा हैं।