मंदी के हालात में भी भारत में जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट में 10 फीसदी बढ़त की उम्मीद है। अमेरिका और यूरोप में कम डिमांड के चलते भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्टर्स नए बाजारों की तलाश में हैं। सोने की चमक हर किसी को भाती है। लेकिन बढ़ती कीमतों के चलते आम आदमी की जेब पर सोना भारी पडने लगा है। गहनों को एफोर्डेबल बनाने के लिए सोने की हल्की ज्वेलरी के अलावा चांदी और दूसरे मेटल्स पर फोकस किया जा रहा है। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के मुताबिक चांदी की ज्वेलरी की मांग में 100 फीसदी की बढत दर्ज की गई है। सस्ते जेम्स स्टोन का इस्तेमाल भी बढ रहा है। मंदी के माहौल में भी इस साल जीजेपीसी को जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट में 10 फीसदी की बढत का भरोसा है। पिछले साल कुल 4 अरब 30 करोड़ डॉलर की जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट हुआ था। लेकिन ग्लोबल मंदी के असर से बचने के लिए ये एक्सपोर्टर अब अपने मुख्य बाजार अमेरिका और यूरोप से हटकर भी दूसरे बाजारों का भी रुख कर रहे हैं। ज्वेलरों के मुताबिक ज्वेलरी इन्वेस्टमेंट से ज्यादा फैशन सिंबल बन चुकी है। और इसी जरूरत को देखते हुए ज्वेलर्स भारत के अलावा दूसरे देशों में भी सस्ते और इनोवेटिव डिजाइन पर ज्यादा काम कर रहे हैं।