भारत में तकरीबन 20 हजार टन गोल्ड का डैड भंडार है। सन 2015 चल रहा है और अगले साल यानी 2016 में इस भंडार के बढ़ने के चांस है। इस गोल्ड से किसी को किसी भी तरह की कोई कमाई नहीं हो रही है। 20 हजार टन गोल्ड यानी 50 अरब करोड़ रुपए। 50 अरब करोड़ में कितने जीरो लगेंगे, इसका हिसाब लगाने में किसी भी सीधे सादे आदमी को पूरा दिन लग सकता है। फिर भी वह सही लिखेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। हमारे हिंदुस्तान में कुल 50 अरब करोड़ रुपए का गोल्ड घरों में, मंदिरों में, बैंक के लॉकरों में यूं ही फालतू पड़ा है। 50 अरब करोड़ के ब्याज का हिसाब लगाने में भी लोगों का जनम खप सकता है। इस गोल्ड को सरकार बाजार में सर्कुलेशन में लाने के लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम लाने को लिए तैयार है।
गोल्ड की हाल की रेट देखें, तो यह 25 लाख रूपए किलो के आसपास बाजार में बिक रहा है। वर्तमान रेट के हिसाब से दस किलो गोल्ड के ढाई करोड़ और सौ किलो गोल्ड के ढ़ाई सौ करोड़ रुपए होते हैं। एक हजार किलो मतलब एक टन गोल्ड की कीमत ढ़ाई हजार करोड़ रुपए होती है। ऐसे ऐसे 20 हजार टन गोल्ड के भंडारवाला हमारा भारत। 20 हजार टन को 2500 करोड़ रुपए से गुणा करेंगे, तो हमारा केलकुलेटर फट जाएगा, लेकिन हिसाब फिर भी समझ में नहीं आएगा। इतना गोल्ड हमारे देश के पास डैड पड़ा है। इस 50 अरब करोड़ रुपए कीमत के डैड स्टॉक में पड़े गोल्ड का किसी के लिए कोई उपयोग नहीं हो रहा है। यह गोल्ड न तो कहीं बिक रहा है, न ही किसी के काम आ रहा है। इसी डैड गोल्ड से लोगों को कमाई देने के उद्देश्य से सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम ला रही है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर एक कैबिनेट नोट जारी किया। इस स्कीम के तहत गोल्ड एकाउंट्स पर डिपोजिटर्स को इंटरेस्ट प्रदान किया जाएगा। फिलहाल जो गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर कैबिनेट नोट तैयार बना है, उसे इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स के लिए जारी किया गया है। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम शुरुआत में कुछ चुनिंदा शहरों में ही शुरू करने का प्रस्ताव है। इसकी घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के अपने बजट भाषण में की थी।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत एक व्यक्ति या संस्था कम से कम 30 ग्राम गोल्ड बुलियन या ज्वेलरी, किसी भी रूप में एक साल के लिए गोल्ड सेविंग एकाउंट में जमा कर सकता है। बैंक इसके लिए ब्याज देंगे। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में दिए जाने वाले इंटरेस्ट रेट बैंक तय करेंगे। सरकार इस स्कीम को आकर्षक बनाने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन एकाउंट पर मिलने वाले इंटरेस्ट को इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स और कैपिटल गेंस टैक्स से छूट दी जा सकती है। मेटल एकाउंट में गोल्ड डिपॉजिट करने से पहले ग्राहकों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) द्वारा प्रमाणित टेस्टिंग और कलेक्शन सेंटर पर शुद्धता की जांच करानी होगी। इस स्कीम के तहत, प्रिंसीपल और इंटरेस्ट का भुगतान गोल्ड के रूप में किया जाएगा। इसे सीधे से समझना हो तो कोई अगर 100 ग्राम गोल्ड जमा करेगा और उसके एवज में उसे 1 फीसदी इंटरेस्ट मिलेगा तो मैच्योरिटी पर उसे 101 ग्राम गोल्ड मिलेगा। ग्राहक के पास यह भी विकल्प होगा कि वह मैच्योरिटी पर गोल्ड चाहता है या कैश, लेकिन इसकी घोषणा उसे गोल्ड डिपॉजिट करते समय ही करनी होगी। इस स्कीम से ज्वेलर्स को भी फायदा होगा वे अपने मेटल एकाउंट पर लोन भी ले सकते हैं। इस स्कीम का लक्ष्य गोल्ड की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इंपोर्ट की निर्भरता को कम करना है। देश का गोल्ड देश में ही बिकता – खरीदा जाता रहेगा, तो करेंट अकाउंड डेफीशिएट पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। दुनिया में भारत गोल्ड का बहुत बड़ा उपभोक्ता देश है और हर साल यहां कम से कम 1000 टन गोल्ड इंपोर्ट किया जाता है। भारत में तकरीबन 20 हजार टन सोने का भंडार मौजूद होने का अनुमान है, जो न कहीं ट्रेड हो रहा है और न ही मोनेटाइज्ड है। सरकार आने वाले कुछ ही समय में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरूआत कर सकती है।