डायमंड उद्योग को नई चमक का इंतजार है। शादी विवाह का मौसम आने वाला है, कुछेक त्यौहार भी होंगे साथ में कई बिजलेस फेयर भी होंगे। उम्मीद की जा रहा है कि सुस्त डायमंड इंडस्ट्री को इस साल नई उर्जा मिल जाएगी। भले ही दुनिया में आर्थिक मंदी का डर फैल रहा हो, भले ही कीमतों में उथल पुथल मची हो, लेकिन डायमंड इंडस्ट्री के व्यापारी मानते हैं कि डायमंड की डिमांड पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला। डायमंड आज भी निवेश के लिहाज से काफी सुरक्षित है।
हालांकि, डायमंड की मांग कुछ इस तरह बढ़ी है कि माल की कमी पड़ने लगी है। पिट्रा डायमंड्स के मुखिया जॉन डिप्पेन्नार कहते हैं कि बाजार में सप्लाई-डिमांड का तालमेल बिगड़ने के आसार हैं। विशेषज्ञों की राय है कि डायमंड इंडस्ट्री अपनी मुसीबतों से उबर रही है। सप्लाई कम होने के समय भी इस साल डायमंड कंपनियां 16.9 बिलियन डॉलर के बिना पॉलिश्ड डायमंड का उत्पादन कर चुकी हैं जो पिछले साल के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा है। इस हिसाब से ज्वेलरी सेक्टर को पिछले साल के 18.9 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2011 तक 21.9 बिलियन डॉलर के डायमंड उपलब्ध हो सकेंगे। उधर, डायमंड ट्रेडिंग कंपनी यानि डीटीसी ने इस साल 300 मिलियन डॉलर तक का स्टॉक बाजार को उपलब्ध कराने का फैसला किया है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 440 बिलियन डॉलर का था। डीटीसी चाहती हैं कि सप्लाई में कमी से बाजार की उथल पुथल थोड़ी कम होगी।
डायमंड की खरीद को लेकर ग्राहकों के बदले हुए रवैये से कीमतों में भारी उतार चढ़ाव दर्ज किया है। वहीं दूसरी तरफ डीटीसी ने विश्व के बाजारों में मंदी को मद्देनजर रखा है। डीटीसी ने जरुरत हो तभी रफ डायमंड खरीदने की सलाह दी है। भारत में वैसे भी डायमंड इंडस्ट्री बुरे आर्थिक दौर से गुजर रही है। माना जा रहा है कि डीटीसी द्वारा उठाए गए ठोस कदम से संपूर्ण डायमंड सप्लाई में निश्चित सुधार होगा। भारत-चीन जैसे देश के मध्यम वर्ग की खरीदी क्षमता बढ़ने के कारण डायमंड की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। लिहाजा, विशेषज्ञ मानते हैं कि आपूर्ति के वक्त थोड़ी सतर्कता बरती जाए तो कीमतों में सुधार की गुंजाईश हो सकती है। हीरे की कीमतों में वृद्धि रोकने के लिए डीटीसी द्वारा उठाए गए ठोस कदमों के बावजूद 2012 में कीमतें स्थिर रहेंगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं देना चाहता। डीटीसी की प्रमुख वर्दा शाईन कहती हैं कि 2012 में माल की कमी के चलते और डिमांड लगातार बढ़ने के कारण भारत में डायमंड महंगा हो सकता है। हालांकि डीटीसी का मानना है कि नए साल में हीरा उतना भी महंगा नहीं होगा जितना पिछले दो सालों में हुआ है।
रूस की दिग्गज डायमंड कंपनी अलरोसा ने तो इस संकट वाली स्थिति से निपटने के लिए अलग रणनीति तैयार की है। कंपनी केवल उन ग्राहकों को माल बेचेगी जिनके साथ लंबे वक्त का करार है। हालांकि यह आपूर्ति भी कम ही होगी। कुल मिलाकर अब डायमंड उद्योग की नजरें फरवरी 2012 में भारत में होने वाले इंडियन इंटरनेशनल ज्वेलरी शो पर टिकी है। ऐसा ही एक अंतरराष्ट्रीय इवेंट 2011 सितंबर में हांग कांग में हुआ था, जो काफी सफल रहा था।