हमारे देश का सबसे बड़ा डायमंड बिजनेस हब सूरत डिफॉल्ट की कगार पर आ गया है। अधिक मुनाफ कमाने के लालच ने इंडस्ट्री को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। डायमंड की मांग लगातार गिरने से पिछले छह महीने में 50 फीसदी से ज्यादा डायमंड प्रोसेसिंग इकाइयां बंद हो चुकी है। हालत यह है कि कारोबारी करीब 1500 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट कर चुके हैं। ग्लोबल डिमांड गिरने का असर यह हुआ है कि सूरत में रविवार से रफ डायमंड का आयात बंद कर दिया गया है। सूरत में डायमंड इंडस्ट्री करीब 90 हजार करोड़ का कारोबार करती है। खस्ताहाल होती स्थिति को देखते हुए आने वाले दिनों में रोजगार भी भारी कमी आने की आशंका है। इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार अभी तक 10 हजार कारीगरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
बढ़ते नुकसान से डिफॉल्ट के मामलों में इजाफा
हीरे की घटती वैश्विक मांग के चलते डायमंड कैपिटल सूरत में पिछले कुछ महीनों से हीरा उद्योग में डिफॉल्ट के मामले बढ़ रहे हैं। सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश नवाडिय़ा बताया कि पिछले एक साल में कच्चे हीरे की कीमत 8 से 9 फीसदी घटी है और पॉलिश किया हीरा 20 से 22 फीसदी घटा है। इससे सूरत की कई कंपनियों का मार्जिन घट गया है। सालाना 90,000 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले सूरत में डेढ़ साल के भीतर 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के डिफॉल्ट के मामले सामने आए हैं। वहीं पिछले दो महीने में हालात और खराब हो गए हैं। मई से लेकर अभी तक यहां तीन कंपनियां 600 करोड़ का डिफॉल्ट कर चुकी हैं। पिछले एक महीने में सूरत के गोधाणी जेम्स ने लगभग 450 से 500 करोड़, पेरी जेम्स ने लगभग 375 से 400 करोड़ और मुंबई के एक अन्य ग्रुप ने करीब 175 करोड़ की उधारी चुकाने से मना कर दी है।
कारोबारियों ने बंद किया रफ डायमंड के इंपोर्ट
आयातित रफ डायमंड की बढ़ती कीमत के चलते सूरत और मुंबई के डायमंड ट्रेडर्स ने रफ डायमंड के आयात से पीछे हटना शुरू कर दिया है। इसका असर आंकड़ों में भी दिखाई दे रहा है। अप्रैल और मई के दौरान भारत में रफ डायमंड का इंपोर्ट 14 फीसदी कम रहा। वहीं 5 जुलाई को ही डायमंड ट्रेडर्स एसोसिएशन ने आयात पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है। हीरा कारोबारी सर्वश्र बंसल के अनुसार कच्चे हीरे की कीमतों में तेजी बनी रही क्योंकि पिछले कुछ महीनों के दौरान खननकर्ताओं ने बार-बार कीमतों में इजाफा किया। लेकिन तराशे जा चुके हीरों की वैश्विक कीमतें कमजोर मांग के कारण काफी गिर गई हैं। जिसकी वजह से कच्चे और तराशे जा चुके हीरों में अंतर पैदा हो गया है। ऐसे में जब तक कीमतें काबू में नहीं रहतीं। आयात पर रोक जारी रहेगी।
50 फीसदी छोटी इकाइयों में ठप हुआ कारोबार
सूरत में बड़े डायमंड हाउसेस के अलावा करीब 4 हजार से अधिक छोटी डायमंड प्रोसेसिंग इकाइयां हैं। ये वे इकाइयां हैं, जिनके पास 25 से कम डायमंड कटिंग मशीनरी हैं। लेकिन इन इकाइयों के सामने कच्चे माल का संकट खड़ा हो गया है। हीरा कारोबारी सुंदर लाल गादिया के अनुसार इकाइयां बड़ी कंपनियों के लिए हीरे तराश कर देते हैं। लेकिन पहले रफ डायमंड की बढ़ती कीमत ने इस इंडस्ट्री के लिए मार्जिन का संकट पैदा कर दिया है। पिछले 5 से 6 महीने में काम मिलना ही कम हो गया था। ऊपर से अब कारोबारियों ने इंपोर्ट करना ही बंद कर दिया है। जिससे अब इंडस्ट्री चला पाना बहुत मुश्किल हो गया है। बढ़ते नुकसान के चलते करीब 50 फीसदी इकाइयां ठप हो चुकी हैं। संकट और भी बढ़ता है। तो जल्द ही शेष बची इकाइयों में भी जल्द ही उत्पादन ठप हो सकता है।
10 लाख मजदूरों पर बढ़ा नौकरी जाने का खतरा
सूरत रत्न कलाकार संघ के प्रमुख जयसुख गजेरा के अनुसार लगातार घटते कारोबार के चलते इंडस्ट्री के सामने पेमेंट का संकट पैदा हो गया है। छोटे कारोबारियों के पास खुद के कारखाने में काम करने वाले कारीगरों को वेतन देने के लिए पैसे नही हैं। वहीं अगर रफ डायमंड की खरीदी बंद हो जाएगी। तो उसके बाद कारीगरों को काम मिला और कठिन हो जाएगा। कारीगर अहमद बताते हैं कि पिछले दो से तीन महीने में सूरत और खंभात के कई कारखाने बंद हो गए हैं। वहीं जो कारखाने चल भी रहे हैं, वहां पर उत्पादन 50 फीसदी तक घट गया है। ऐसे में काम के घंटे कम होने से मजदूरी भी घट कर आधी रह गई है।
वैश्विक मंदी से कमजोर हुआ हीरे का कारोबार
वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग के चलते हीरे से जुड़ा कारोबार लगातार घटता जा रहा है। कच्चे हीरे के आयात और पॉलिश्ड हीरे के निर्यात तक सभी आयातक मंदी से परेशान हैं। जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के अनुसार भारत का रत्न और आभूषण निर्यात इस साल अप्रैल में 20 फीसदी घटकर 19,791.4 लाख डॉलर हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 24,757.0 लाख डॉलर था। पॉलिश्ड डायमंड का एक्सपोर्ट भी 10 फीसदी गिरा है।
ज्यादा मुनाफे के लालच में पस्त हुआ कारोबार
सूरत में हीरे उद्धोग के साथ जुडे डॉ. चिराग पटेल मानते हैं कि कारोबारियों के अधिक मुनाफे कमाने के लालच ने इंडस्ट्री को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने बताया कि, रफ खरीदने के लिए बहुत से कारीगरों ने देशी विदेशी बैंकों से लोन लेकर करीब 70 प्रतिशत हिस्सा रियल ऐस्टेट सहित अन्य क्षेत्रो में निवेश कर दिया। मार्केट में सुस्ती के चलते कारोबारियों को घाटा पहुंचा वहीं अब देशी और विदेशी बैंको ने हीरा कारोबारियों को को ऋण देने से मना कर दिया है। जिसकी वजह से कारोबारी दोहरे संकट में फंस गये है।