‘मेन्स ज्वेलरी’ के मामले में भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है। इससे पहले तीसरी पायदान पर अमेरीका था। जिसको भारत ने पीछे छोड़ते हुए यह मुकाम हासिल किया है। यूरो मॉनिटर इंटरनेशन की तरफ से किए गए एक रिसर्च के बाद यह घोषणा की गई है। इस रिसर्च में भारत के मेन्स ज्वेलरी मार्केट को करीब 954 करोड़ का आंका गया है। साथ ही अगले साल तक भारतीय बाजार में बिक्री करीब 36.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान भी लगाया गया है। वैसे तो यह आंकड़ा भारत के कुल ज्वेलरी मार्केट 1.2 लाख करोड़ की तुलना में काफी छोटा दिखता है। लेकिन महिला खरीददारों से पटे इस बाजार के व्यापारी अब पुरुष खरीददारों की बढ़ती संख्या पर भी गंभीरता से ध्यान देने लगे हैं। जीआरटी ज्वेलर्स के एमडी जीआर राधाकृष्णन कहते हैं कि – पुरुष ज्वेलरी मार्केट भले ही वर्ग केंद्रित हो, लेकिन यह विकसित हो रहा है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ ‘ओरा’ जैसी नेशनल लेवल की डायमंड ज्वेलरी चेन की कुल वार्षिक बिक्री में 6 फीसदी हिस्सा पुरुष ज्वेलरी का रहा है। ‘ओरा’ के सीईओ विजय जैन मानते हैं कि भारत में भी अब पुरुष ज्वेलरी का मार्केट तैयार हो चुका है। इसके पीछे पुरुषों का मेट्रोसेक्सुअल बनने का चलन जिम्मेदार है। भारतीय ज्वेलरों के मुताबिक 20 से 30 वर्ष की आयु के पुरुष ज्वेलरी के सबसे बड़े खरीददार हैं। अब तो पुरुषों में अकेले ही ज्वेलरी स्टोर में पहुंचकर खरीदी करने की हिचक भी नहीं रही। अधिकतर पुरुष अपने पार्टनर यानि प्रेमिका या पत्नी के लिए गिफ्ट खरीदने ज्वेलरी स्टोर जाते हैं। ‘मेन्स ज्वेलरी’ के इस ट्रेंड ने करीब 5 साल पहले जोर पकड़ा, और अब तो हर जगह पुरुष खरीददार ज्वेलरी स्टोर में दिख ही जाते हैं। वजह वही, जो महिलाओं के लिए भी है, सोने में सुरक्षित निवेश के लिए सबसे बेहतर है। सोने की खासियत को भी इस बाजार के बढ़त का श्रेय जाता है। एक आंकलन के मुताबिक 15 से 20 फीसदी प्लेटिनम ज्वेलरी की खरीददारी सिर्फ पुरुष ही करते हैं। प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल के मुताबिक तीन साल पहले तक पुरुष ग्राहकों की संख्या 5 से 8 फीसदी थी। हालांकि अब भी बहुत सारे पुरुष अपनी महिला पार्टनर के साथ ज्वेलरी खरीदने जाते हैं। लेकिन अब इस चलन में बदलाव हो रहा है। पुरुष ग्राहकों की संख्या 8 फीसदी से आगे निकलकर 10 फीसदी तक पहुंच गई है। डायमंड ज्वेलरी बाजार में अग्रणी कंपनी गीतांजलि ग्रुप की वार्षिक बिक्री में पुरुष खरीददारों की हिस्सेदारी करीब 42 फीसदी रही है। औसतन हर पुरुष ग्राहक अब कम से कम 25 हजार तक की खरीददारी तो करता ही है। जबकि दो साल पहले तक पुरुष ग्राहकों की औसतन खर्च सीमा 12 से 13 हजार तक ही सीमित थी। हालांकि ज्वेलरी पर महिलाओं की खर्च सीमा अब भी पुरुषों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। गीतांजलि के प्रवक्ता के मुताबिक एक महिला ग्राहक औसतन 35 हजार रुपए तक की ज्वेलरी खरीदती है। महिलाओं की खरीददारी अकसर खास मौके पर ही देखी जाती रही है। फोरएवर मार्क नामक ज्वेलरी ब्रांड की निर्माता डी- बियर्स के मुताबिक महिलाओं की ज्वेलरी खरीद करवा चौथ और धनतेरस के दिन सबसे ज्यादा होती है। वहीं, शादी विवाह के दौरान खरीददारी एक सामूहिक फैसला होता है ,लेकिन इसके बाद पुरुष इस दायरे से बाहर निकल रहे हैं। वैसे भारतीय पुरुषों में ज्वेलरी की डिजाईन, हीरों की परख आदि की समझ का विकास भी देखने को मिला है। अब तो वे भी निवेश और उपहार आदि के लिए ज्वेलरी को ही सर्वोत्तम जरिया मानने लगे हैं। यही वजह है कि भारतीय बाजार ने ‘मेन्स ज्वेलरी’ के मामले में अमरीका को पीछे धकेल दिया है।