आज भारत में हॉलमार्क ज्वेलरी की शुद्धता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ज्वेलरी की विश्वसनीयता खतरे में है और इसी वजह से गोल्ड ज्वेलरी के विक्रेताओं पर भरोसा उठ रहा है। विश्वसनीयता पर खतरे के इस संकट में वास्तविक कारण जानना बहुत जरूरी है। भारतीय गोल्ड ज्वेलरी के बारे में आम धारणा है कि मिलावट तो उसमें जरूर ही होगी। भले ही कितने भी बड़े ज्वेलर से खरीदी की जाए, सामान्य लोगों के मन में विश्वास बैठता ही नहीं कि जो उसे बताया गया है, उसकी ज्वेलरी में गोल्ड की शुद्धता उतनी ही मिलेगी। इसलिए यह बहुत आवश्यक हो गया है कि भारतीय गोल्ड ज्वेलरी मार्केट की विश्वसनीयता को सुधारने की जरूरत है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने भी यह माना है कि भारत में हॉलमार्क की हुई गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता पर भी ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता। कारण है कि ज्यादातर भारतीय गोल्ड ज्वेलरी में मिलावट पाया जाना एक आम बात है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने अपनी एक पिछली रिपोर्ट में यह स्वीकार किया है कि लोग गोल्ड ज्वेलरी की खरीदी के प्रति विश्वसनीय बने रहें, इसके लिए हॉलमार्किंग की सुविधा लागू की गई थी, लेकिन शुद्धता की गारंटी के लिए दिए जानेवाले हॉलमार्क की ज्वेलरी भी बड़े पैमाने पर कम कैरेट की पाई जाती है।
भारतीय गोल्ड ज्वेलरी मार्केट के बारे में सामान्य लोगों के दिलों में यह धारणा अभी तक बनी नहीं है कि हॉलमार्किंग की गई ज्वेलरी भी पक्के रूप में भरोसेमंद है या नहीं। भारत गोल्ड का बहुत बड़ा खपतवाला देश है एवं ऐसे वृहत्त देश के उपभोक्ताओं के मन में इस प्रकार की धारणा व्यापार के नुकसान की वजह हो सकती है। इसीलिए यह बहुत ही चिंताजनक बात है कि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल को इस पर चिंता व्यक्त करनी पड़ी है। भारतीय ज्वेलरी मार्केट के लिए यह सावधान होने का वक्त है कि भारत में ज्वेलरी की हॉलमार्किंग प्रणाली ही गड़बड़ है। देश भर के विभिन्न ज्वेलरी मार्केट में हॉल मार्किंग की सुविधा है, लेकिन एक जगह से मिले शुद्धता के बाद दूसरी जगह कराई गई उसकी जांच में उसी शुद्धता में फर्क पाया जाना भारत में आम बात है। इस बारे में देश के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज रिपोर्ट व शिकायतों के आधार पर सिलसिलेवार खुलासे किए जाने के बाद आखिरकार वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने भी माना है कि हॉलमार्क गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता पर लोगों का शक वाजिब है। भारत में गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता के लिए हॉलमार्किंग की सुविधा वैसे तो बहुत पुरानी नहीं है, फिर भी सरकार द्वारा पिछले एक दशक से इस मामले में व्यापारियों पर दबाव बनाना शुरू किया गया। फिर भी देश में 70 पीसदी से ज्यादा ज्वेलरी अब भी बिना हॉलमार्किंग के ही बिकती है। इसी कारण भारत की हॉलमार्क गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता भी भरोसेमंद नहीं मानी गई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने इस बारे में कुछ साल पहले भी एक रिपोर्ट में साफ साफ कहा था कि भारत में हॉलमार्क ज्वेलरी की शुद्धता अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरती। इस बारे में घूम पिर कर सवाल केवल एक ही खड़ा होता है कि आखिर भारतीय ज्वेलर्स की हॉलमार्क ज्वेलरी ही जब हॉलमार्किंग की शुद्धता ही खरी नहीं उतरती, तो बिना हॉलमार्किंग ज्वेलरी में तो कितनी मिलावट की जाती होगी।
देश के सामान्य लोगों में जैसे जैसे इस बात का फैलाव हो रहा है कि भारत में ज्वेलरी की हॉलमार्किंग प्रणाली ही गड़बड़ है और एक जगह से मिले शुद्धता प्रमाण पत्र के बाद भी उसी ज्वेलरी की दूसरी जगह जांच कराओ तो उसकी शुद्धता में फर्क मिलता है, तो हॉलमार्किंग की विश्वसनीयता भी खतरे में पड़ती जा रही है। वैसे, छोटे शहरों व ग्रामीण इलाकों में हॉलमार्किंग की सुविधा नहीं है, लेकिन ज्वेलरी ज्यादातर बड़े शहरों में भी हॉलमार्किंग ज्वेलरी की सुविधा सभी ज्वेलरों के पास नहीं है। भारत के ज्यादातर छोटे शहरों व गांवों में तो अब भी लोग सुनार व कारीगर से ज्वेलरी बनवाते हैं, जो कि गैर हॉलमार्किंग ही होती है। यही ज्वेलरी सबसे ज्यादा बिकती है, इसीलिए संभवतया वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल मानती है कि भारत में हॉलमार्क ज्वेलरी की शुद्धता विश्व स्तरीय नहीं है। सही बात तो यह भी है कि देश के ज्यादातर गांवों में हॉलमार्किंग के बारे में उपभोक्ता ही नहीं, ज्वेलर्स को भी ज्यादा जानकारी नहीं है। गांवों के पढ़े लिखे खरीददारों में से भी सिर्फ आधे ही हॉलमार्क ज्वेलरी के बारे में जानते हैं।आज का सबसे बड़ा सवाल ज्वेलर्स की विश्वसनियता का है। भारतीय ज्वेलर्स के लिए यह बड़ी चिंता की बात होनी चाहिए कि उनकी कम गोल्ड में से ज्यादा कमाई निकालने की कोशिशों के कारण दुनिया भर में भारतीय ज्वेलरी भरोसेमंद नहीं मानी जाती। अतः हर बिक्री योग्य ज्वेलरी के लिए ज्वेलर्स को अपने स्तर पर ही हॉलमार्किंग आवश्यक माननी चाहिए, इससे उसी का मुनापा बढ़ेगा और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। ज्वेलर्स को मानना चाहिए कि हर ज्वेलरी की शुद्धता के प्रमाण के रूप में हॉलमार्किंग का होना व्यापार की कामयाबी के लिए भी जरूरी है। क्योंकि एक तो भारत में बिकनेवाली कुल गोल्ड ज्वेलरी में से केवल 30 फीसदी से भी कम ज्वेलरी ही हॉलमार्क होती हैं। लेकिन इस 30 फीसदी ज्वेलरी में भी शुद्धता को कोई गारंटी नहीं होती, यही बात भारतीय ज्वेलरी बाजार की विश्वसनीयता के लिए खतरा बनती जा रही है।