By Rakesh Dubey | Mumbai
गोल्ड के मामले में भारत की जनता का स्नेह इसी से साफ उजागर होते है कि भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस उम्मीद के साथ कई बार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई कि इससे भारतीयों की गोल्ड में दिलचस्पी कुछ कम होगी, लेकिन इसे लेकर भारतीयों की चाहत पहले जैसी बनी हुई है। कोई फर्क नहीं आया है। हमारे देश में बहुत सारे लोग तो गोल्ड के दाम बढ़ने के साथ साथ गोल्ड के और दीवाने होते जा रहे हैं। भारतीय समाज का इतिहास देखें तो गोल्ड इन्वेस्टमेंट हमेशा से लोगों को पहली पसंद रहा है। और यह भी इतिहास है कि गोल्ड की ऊंची कीमतों के कारण खरीददारी पर कोई असर नहीं पड़ा है।
गोल्ड की सेल को रोकने के बारे में सरकार समझ ही नहीं पा रही है और उसके सारे तर्क और सारे इक़नॉमिक फेल हो रहे हैं। सरकार का तर्क इस मामले में गलत है। वैसे, तो इकनॉमिक्स के हिसाब से किसी भी प्रॉडक्ट के दाम बढ़ने पर उसकी डिमांड घटने की बात कही जाती है। लेकिन इनवेस्टिंग प्रिंसिपल्स के मुताबिक, अगर कोई एसेट क्लास ज्यादा महंगा होता है, तो उसका अट्रैक्शन और बढ़ जाता है और उसकी इन्वेस्टमेंट वेल्यू भी बढ़ जाती है। गोल्ड के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। वह एसेट क्लास तो शुरू से ही रहा है है और डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार घटती बढ़ती कमजोरी ने इसके प्रति लोगों के आकर्षक को और बढ़ा दिया है। जिन इनवेस्टर्स को गोल्ड प्राइसेज में तेजी की उम्मीद है, उनका कहना है कि वे उतना ही पैसा गोल्ड में लगाएंगे, जितना उन्होंने तय कर रखा है। भले ही इससे उन्हें कुछ ग्राम कम सोना क्यों न मिले। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अप्रैल-जून 2013 के आंकड़ों से पता चलता है कि डिमांड कम करने की सरकार की कोशिशों की वजह से इसके प्रति लोगों की दीवानगी और बढ़ी है। अप्रैल-जून 2013 में कंज्यूमर डिमांड 370 टन रही, जो पिछले साल से 71 फीसदी ज्यादा थी। इस दौरान बार और कॉइन इनवेस्टमेंट 116 फीसदी बढ़ा है, जबकि जूलरी डिमांड में 51 फीसदी की तेजी आई है। नई पीढ़ी के लोग गोल्ड ज्वेलरी ज्यादा खरीद रहे हैं और भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश में गोल्ड खरीद कर उसे सहेज भी रहे हैं।
दरअसल, गोल्ड की सेल रोकने के बारे में सरकार के एक्शन से भारतीय ग्राहकों की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है। हाई ऐंड ब्रैंडेड ज्वेलरी की मुंबई में अगस्त और सितंबर में हुई दो एग्जीबिशन की जोरदार सफलता ने यह साबित कर दिया है कि देश में जूलरी के जरिए बचत करने का कल्चर तोड़ना आसान नहीं है। पिछले छह महीने में रुपए की कमजोरी के कारण गोल्ड ने पहले ही 15-20 फीसदी का रिटर्न दिया। जिन इनवेस्टर्स ने 26 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम पर गोल्ड खरीदा था, उन्हें कुछ ही दिनों में 32 हजार में बेचने का भी मौका मिला। गोल्ड लोगों को लुभाता भी है, मुनाफा भी देता है र खुद के सक्षम होने का अहसास भी जदेता है, यही वजह है कि गोल्ड ऑल मटाइम फेवरेट है। इसकी डिमांड खत्म करना आसान नहीं है। सरकार चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, गोल्ड की डिमांड कम करने के मामले में उसके लिए सफल होना बहुत मुश्किल है। ।