गोल्ड का ग्लैमर भी गजब का है। वह कम ही नहीं होता। हमारे वेद, शास्त्रों और पुराणों में भी उसका जिक्र है। उस जमाने में भी गोल्ड वैसा ही चमकता था, जैसा आज चमकता है। पहले भी होता था, और आज भी हमारी नजरों के सामने हम रोज गोल्ड के ग्लैमर में दीवानी होती दुनिया को देखते ही हैं। यह गोल्ड का ,च है। लेकिन यह भी सच है कि सोने के शौकीन लोग अब गोल्ड की जगह इमिटेशन ज्वेलरी में भी दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। गोल्ड की आसमान छूती कीमतों की वजह से ही इमिटेशन ज्वेलरी आज हर वर्ग की पहली पसंद बन चुकी है। खासकर नई पीढ़ी के लिए। यह पीढ़ी इसे इमीटेशन ज्वेलरी नहीं मानती, बल्कि फैशन ज्वेलरी कहकर सम्मान देती है। मतलब साफ है कि इमीटेशन ज्वेलरी का कारोबार लगातार लुभाता जा रहा है और लोग उसे इसलिए भी अपनाते जा रहे हैं क्योंकि पहली बात तो यह है कि दिखने के मामले में यह गोल्ड से कम नहीं है और खो जाए, तो कोई गम भी नहीं है। क्योंकि कीमत के मामले में गोल्ड के मुकाबले यह बहुत कम कीमत में उपलब्ध है। ग्राहकों की इस पसंद को देखते हुए गोल्ड के कई परंपरागत बड़े कारोबारी भी इमीटेशन ज्वेलरी के बाजार में उतर आए हैं। मुंबई के जवेरी बाजार में परंपरागत गोल्ड ज्वेलरी के कई कारोबारी अम इमीटेशन ज्वेलरी के धंधे में भी हैं। वो जमाना गया, जब घर के सारे लोग एक ही धमृंधे में उतर जाते थे। लेकिन वक्त बदला, माहौल बदला और बाजार की बिसीत बदली, तो लोगों के केराबोर के बारे में सोच भी बदली। अब घर में दो बेटे हैं, तो एक परंपरागत धंधे में और दूसरा किसी नए कामकाज में है। इससे बेलेंस बना रहता है। सो, अगर एक धंधा मंदा हो, तो दूसरे धंधे का सपोर्ट मिल जाता है। सो, कई सारे गोल्डवाले भी अब इमीटेशन ज्वेलरी के धंधे में उतर आ हैं। इमीटेशन ज्वेलरी की विश्व स्तरीय प्रदर्शनी इंडिया इंटरनेशनल फैशन ज्वेलरी एंड एक्सेसरीज शो (आइआइएफजेएएस जिसे इफ्जास भी कहते हैं) की आयोजक कंपनी रेडिएंट एक्सपोजिशंस लिमिटेड़ के चेयरमेन देवराज सेमलानी कहते हैं कि यह कारोबार सालाना 25 से 30 फीसदी की तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। भारत में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले उद्योग में इसका नाम शुमार किया जा सकता है। मेक इन इंडिया के मामले में बी यही कारोबार सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। वे इस उद्योग को एक नया रूप देना चाहते हैं, इसीलिए पिछले एक दशक से हर साल फैशन ज्वेलरी का इंटरनेशनल प्रदर्शनी का आयोजन करते रहे हैं। हालांकि उनकी होड़ में उतर कर इमीटेशन ज्वेलरी बाजार की संस्था इज्मिमा ने भी एक बार प्रदर्शनी का आयोजन किया था, लेकिन वह कुल मिलाकर एक फ्लॉप शो ही साबित हुआ। उस शो के फ्लॉप होने से आयोजकों की हौसला भी पस्त हो गया और संस्था की भद्द पिटी सो अलग। लेकिन सेमलानी का इंडिया इंटरनेशनल फैशन ज्वेलरी एंड एक्सेसरीज शो लगातार एक दशक पूरा होने के बावजूद धमाके से चल रहा है।
कोरिया, ताईवान, जापान और चीन से इमीटेशन ज्वेलरी इम्पोर्ट करने वाले युवा व्यवसायी राजेश जैन का कहना है कि – ‘इमीटेशन ज्वेलरी का बाजार दिन दुगने और रात चौगुने की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। चार-पांच साल पहले ग्राहकों के लिए तरसते ये गहने आज पूरी तरह से अपना एक नया बाजार बना चुके हैं। मूल रूप से गोल्ड ज्वेलरी के व्यवसायी महेंद्र संघवी कहते हैं कि इमीटेशन ज्वेलरी के कारोबार में तेजी की सबसे बड़ी वजह गोल्ड की कीमतों में आई भारी बढ़ोतरी है। साथ ही इसकी लागत बहुत कम होना भी इसके तेजी से पनपने का सबसे बड़ा कारण है। बांद्रा और खार जैसे महंगे इलाकों में ‘विया’ और ‘श्रीनाथ’ ब्रांड से इमीटेशन ज्नेलरी के दस से ज्यादा सो रूम चलाने वाले लक्षमण पटेल मानते हैं कि आने वाले कुछ ही समय में इमाटेशन ज्वेलरी का बाजार काफी बड़ा हो जाएगा। क्योंकि पिछले कुछ सालों में यह कारोबार गली कूचों से बाहर निकलकर वैश्विक रूप ले चुका है। और बहुत तजी से यह संगठित उद्योग का रूप ले रहा है। यही कारण है कि तेजी से चमक रहे इस कारोबार को एक पहचान देने के लिए दुनिया भर के कारोबारी अब एक छत के नीचे एकत्र होकर प्रतियोगी नजरिए से भविष्य की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। लक्षमण पटेल का कहना है कि दस साल पहले यानी जनवरी 2006 में गोल्ड प्रति 10 ग्राम 6000 रुपये के भाव में बिक रहा था और 2017 में गोल्ड प्रति 10 ग्राम 30 हजार रुपये तक पहुंच गया है। गोल्ड ज्वेलरी पहनना आम लोगों के बस की बात नहीं रह गई और लोग गोल्ड ज्वेलरी के विकल्प के रुप में इमिटेशन ज्वेलरी को अपनाने लगे। गोल्ड के पानी चढ़े गहने जिन्हें एक ग्राम गोल्ड वाले गहने, इमिटेशन ज्वेलरी या फिर फैशन ज्वेलरी के नाम से जाना जाता है, उसका चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। जयपुर से इमीटेशन ज्वेलरी ले जाकर भोपाल में बेचनेवाली राधिका शर्मा का कहना है कि महिलाओं में बहुत तेजी से इसका चलन इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि कीमत काफी कम होने के साथ साथ गोल्ड ज्वेलरी का फील इसकी सबसे बड़ी खासियत है। डिजाइंस के मामले में भी इमीटेशन ज्वेलरी का गोल्ड ज्वेलरी से सीधा मुकाबला है। सामान्य व्यक्ति तो इमीटेशन ज्वेलरी और रियल गोल्ड ज्वेलरी के बीत का फर्क पहचान भी नहीं सकता। क्या असली और क्या नकली। जब फर्क ही सिमट गया, तो इमीटेशन ज्वेलरी का कारोबार तो बढ़ना ही था। वैसे देखा जाए, तो इंडिया इंटरनेशनल फैशन ज्वेलरी एंड एक्सेसरीज शो (इफ्जास) इमीटेशन ज्वेलरी का सबसे बड़ा मंच है, जहां गोल्ड के कारोबारियों की तरह ही इस कारोबार से जुड़े लोगों को भी एक प्लेटफॉर्म पर आने का अवसर मिलता है। इमीटेशन ज्वेलरी के सामने गोल्ड बहुत महंगा होने की वजह से सिल्वर और सीजेड ज्वेलरी काफी पसंद की जाने लगी है। इनके स्टॉल भी ‘इफ्जास’ में बड़ी संख्या में हर साल आते हैं। सालाना होनेवाले इस सो में विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोगों के आने से यह साबित हो गया है कि दुनिया भर में फैशन ज्वेलरी के मामले में भारत की साख बहुत बढ़ी है। इस सफलता को दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो भारतीय क्रियेशन के प्रति दुनिया भर में आकर्षण बढ़ा है। और हमारे भी व्यवसायी दुनिया भर में विश्वसनीय साबित हुए है।