शादी विवाह हमारी सामाजिक जिंदगी की सबसे अहम जरूरत होते है एवं शादी के संबंध निभाने के लिए होनेवाले आयोजन की सबसे अहम जरूरत है ज्वेलरी। वह ज्वेलरी सामान्य आय वाले घर परिवारों में आम तौर पर गोल्ड की होती है, तथा जो लोग गोल्ड नहीं खरीद पाते, उनके मन में भी गोल्ड खरीदने की हसरत जिंदा रहती है, तथा जो लोग ज्यादा खर्च करने की क्षमता रखते हैं, उनमें डायमंड ज्वेलरी देने का चलन है। इसीलिए देश भर के छोटे छोटे कस्बों तथा शहरों से लेकर महानगरों में ज्वेलरी के शो रूम सजने लगे हैं। क्योंकि शादी विवाह का सीजन आनेवाला है। पिछले साल कोरोना का संकटकाल था, तो शादी विवाह के आयोजन पूरी तरह से ठहर गए थे। देश ही नहीं दुनिया भर में लॉकडाउन लगा हुआ था, तो शादी विवाह के आयोजन हुए ही नहीं, और हुए भी तो ज्यादातर बिना किसी लेन देन तथा बिना तामझाम के ही संपन्न हो गए। इस साल भी संकट तो कोराना का ही लगातार जारी है, इसके बावजूद शादी विवाह को लेकर लोगों में उमंग तथा उत्साह है। इसलिए देश भर में ज्वेलरी के जो शो रूम साल भर तक ग्राहकों का इंतजार कर रहे थे, वहां एक बार फिर से रौनक लौटने वाली है।
हमारा इतिहास इस बात का गवाह है तथा सदियों से हम यह देखते रहे हैं कि भारतीय समाज में शादी विवाह लोगों का सबसे उमंग और उल्लास से भरपूर सबसे पसंदीदा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। जीवन के इस सबसे खास मौके पर लोग खूब धड़ल्ले से गोल्ड में निवेश करते हैं, इसी कारण इतिहास में दर्ज है कि युगों युगों से शादी विवाह में गोल्ड देने का चलन हमेशा से रहा है तथा पिछले चार पांच दशकों से यह चलन काफी तेजी से बढ़ा है। हालांकि न केल शादी विवाह में, बल्कि चाहे त्यौहारों का मौसम हो या परंपरागत समारोह के दिन, प्रत्येक घर में गोल्ड की एक खास जगह है। क्योंकि गोल्ड में निवेश हमेशा से काफी अच्छा मुनाफा देता रहा है। इसलिए भी गोल्ड खरीदना हमेशा से भारतीयों की सबसे पहली पसंद रहा है।
अप्रेल का महीना शादी विवाह का सबसे धूमधाम भरा माहौल लेकर आता है। यही धूमधाम देश भर के छोटे बड़े कस्बों से लेकर बड़े बड़े शहरों तथा मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, चंडीगढ़, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, तिरुअनंतपुरम जैसे महानगरों में ज्वेलरी के शो रूम में दिखने लगी है। एक बार फिर से ज्वेलरी के शो रूम सजने लगे हैं तथा ग्राहकों से गुलजार होने लगे हैं। हालांकि गोल्ड के रेट्स को लेकर लोग काफी असमंजस में हैं, क्योंकि उनको लग रहा है कि रेट्स कुछ और नीचे गिरेंगे। 56 हजार से ऊपर पहुंचने के बाद गोल्ड लगभग हजार तक नीचे आया है, तो लोगों को लग रहा है कि अभी तो और नीचे आएगा। लेकिन मार्च के दूसरे सप्ताह में गोल्ड के रेट्स में थोड़ी स्थिरता आने के बाद फिर से रेट चढ़ने लगे, तो लोग खरीदने की तरफ बढ़ने लगे हैं। क्योंकि अप्रेल का महीना आ ही रहा है तथा शादी विवाह का सीजन पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा चलेगा, क्योंकि कोरोनाकाल में पिछले साल बहुत सारी शादियां रुक गई थीं या आगे सरका दी गई थीं। मुंबई के ज्वेरी बाजार सहित घाटकोपर, मुलुंड, बोरीवली, अंधेरी, बांद्रा जैसे ब्रांडेड ज्वेलरी के शो रूम वाले उपनगरों के ज्वेलरों के चेहरों पर रौनक दिख रही है। हालांकि गोल्ड ज्वेलरी खरीदते समय लोगों का सबसे पहला ध्यान हॉलमार्क वाली ज्वेलरी पर ही दिख रहा है, क्योंकि लोग मानते हैं कि जिस ज्वेलरी पर हॉलमार्क का निशान होता होता है, उसकी शुद्धता को लेकर संदेह कम होता है साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उसमें गोल्ड की कितनी शुद्धता है। शादियों में आम तौर पर 18 कैरेट गोल्ड की ज्वेलरी देने की परंपरा नहीं है। इसके पीछे तर्क यही है इससे देनेवाले की मंशा को शंका की नजर से देखा जाता है, ऐसा माना जाता है कि ज्यादा ज्वेलरी दिखाकर कम गोल्ड देने की मंसा रही होगी। सो, ज्यादातर लोग 22 कैरेट की शुद्धता की ज्वेलरी ही जेते हैं। ऐसे में हॉलमार्क वाली ज्वेलरी भी इसलिए खरीदते हैं कि इनको गारंटी होती है कि गोल्ड की शुद्धता को लेकर कोई शंका नहीं होती।
हालांकि ज्वेलरी बाजार की अब तक की धारणा तथा परंपरा यही रही है कि जैसे जैसे बाजार में गोल्ड ज्वेलरी के खरीददार आएंगे, उसी तरह से गोल्ड के रेट्स भी बढ़ेगे। हम देखते हैं कि ज्वेलरी की खरीद में महिलाओं का दबदबा रहता है, क्योंकि अंततः ज्वेलरी पहननी तो उन्हीं को है। सो, जाहिर सी बात है कि बीते साल भर साल से घरों में महिलाएं इस बार के शादी विवाह के सीजन में महिलाएं खुद के लिए तो जमकर खरीदारी करेंगी ही, दूल्हा दुल्हन के लिए भी खरीदेंगी। हमने देखा है कि भारत में महिलाएं किसी भी खास दिन पर गोल्ड की आइटम खरीदने में खास रुचि दिखाती है। तथा मामला जब शादी विवाह की खरीदी का हो, तो महिलाओं में गोल्ड के प्रति आकर्षण किसी से छिपा नहीं है। फिर शादी विवाह में भी गोल्ड ज्वेलरी के लेन-देन की परंपरा भी है, इसीलिए देश भर के बाजारों में रौनक लोटने लगी हैं।हालांकि देखा जाए, तो मामला भले ही शादी के सीजन का हौ, लेकिन देश में गोल्ड की कीमतों में जो गिरावट देखने को मिल रही है, उससे खरीदी बढ़ना तय है। गोल्ड की कीमत करीब 11 महीने के बिल्कुल निचले स्तर पर है जो कि 56 हजार पार से सीधे 44 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच चुकी हैं। हालांकि तब शादियां नहीं थी, फिर भी गोल्ड पिछले साल अगस्त में 56हजार रुपये के पार के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा था। देखा जा रहा है कि तब से अब तक इसमें करीब 22 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। ऐसे में शादी विवाह की खरीदी का सीजन आ रहा है, तो उतरते रेट्स में गोल्ड जरूर बिकेगा, यह बाजार को भरोसा है। क्योंकि शादी विवाह के सीजन की सबसे अहम जरूरत ज्वेलरी ही है, इसी कारण देश भर में कोरोनाकाल के बावजूद एक बार फिर से ज्वेलरी के शो रूम सजने लगे हैं तथा ग्राहकों से गुलजार होने लगे हैं।